दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा स्वीकृत नवीन पाठ्यक्रमानुसार हिन्दी कविता (आदिकाल और निर्गुणभक्ति काव्य) [बी. ए. हिन्दी नर्स, प्रथम वर्ष सेमेस्टर-1, कोर कोर्स-1] by संपादक आलोक रंजन

ये अपने माध्यम से प्रगतिशील एवं मानवतावादी दृष्टि से पूर्ण कविताएं लिखते हैं। साथ ही अपने रचनाओं से अपनी संस्कृति व सभ्यता को सहेजने का काम करते हैं। इन्होंने अपने कविताओं के माध्यम से भारतीय जनचेतना को सर्वाधिक प्रभावित किया है। आलोक को बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन द्वारा युवा साहित्यकार का सम्मान • मिला हुआ है। इसके अलावा साहित्य सारथी सम्मान, साहित्य उत्कर्ष सम्मान, साहित्य गौरव सम्मान, भारत माता अभिनन्दन सम्मान 2021 और कैमूर के कोहिनूर सम्मान प्राप्त है। आलोक अभी दिल्ली विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग से अपनी स्नातक की पढ़ाई कर रहे हैं। आज पढ़ाई के साथ साथ साहित्य जगत में अपना नाम बना रहे हैं। इनके रचनाओं ने कई बड़े विद्वानों के सामने प्रौढ़ का प्रश्न लाकर खड़ा किया है। क्योंकि इतनी कम उम्र में समाज और लोगों के विचारों को पन्नों पर उकेरना मुश्किल होता है। आज भी निरन्तर साहित्य सेवा कर रहे हैं। इनके रचनाओं को कई बड़े साहित्यकार व कलाकारों ने सराहा है। आज अपने लेखन और कविता के माध्यम से अपने देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अपने क्षेत्र का नाम रौशन कर रहे हैं।

Description

आलोक रंजन वर्तमान भारत के युवा कवियों व लेखकों में आलोक रंजन का नाम शुमार है। आलोक रंजन का जन्म 15 अगस्त 2003 को बिहार में कैमूर के सिरसी गांव में हुआ। इनके पिता का नाम राजवंश राम और माता का नाम संगीता देवी है। जो पेशे से एक शिक्षक हैं। ये हजार से अधिक अंतरराष्ट्रीय व राष्ट्रीय अखबारों एवं पत्रिकाओं के लिए भी लिख चुके हैं। इनके कई सांझा संग्रह किताब भी प्रकाशित हो चुके हैं। इनकी दो पुस्तकें भी प्रकाशित हो चुकी हैं। जिसमें पहली पुस्तक का नाम पहला पन्ना है और दुसरी का नाम बेहद मोहब्बत है। ये अपने माध्यम से प्रगतिशील एवं मानवतावादी दृष्टि से पूर्ण कविताएं लिखते हैं। साथ ही अपने रचनाओं से अपनी संस्कृति व सभ्यता को सहेजने का काम करते हैं। इन्होंने अपने कविताओं के माध्यम से भारतीय जनचेतना को सर्वाधिक प्रभावित किया है। आलोक को बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन द्वारा युवा साहित्यकार का सम्मान • मिला हुआ है। इसके अलावा साहित्य सारथी सम्मान, साहित्य उत्कर्ष सम्मान, साहित्य गौरव सम्मान, भारत माता अभिनन्दन सम्मान 2021 और कैमूर के कोहिनूर सम्मान प्राप्त है। आलोक अभी दिल्ली विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग से अपनी स्नातक की पढ़ाई कर रहे हैं। आज पढ़ाई के साथ साथ साहित्य जगत में अपना नाम बना रहे हैं। इनके रचनाओं ने कई बड़े विद्वानों के सामने प्रौढ़ का प्रश्न लाकर खड़ा किया है। क्योंकि इतनी कम उम्र में समाज और लोगों के विचारों को पन्नों पर उकेरना मुश्किल होता है। आज भी निरन्तर साहित्य सेवा कर रहे हैं। इनके रचनाओं को कई बड़े साहित्यकार व कलाकारों ने सराहा है। आज अपने लेखन और कविता के माध्यम से अपने देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अपने क्षेत्र का नाम रौशन कर रहे हैं।

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