Kitab Sell Kaise Karey? Part 1

किताब लिखी तो है लेकिन कोई खरीदता नहीं है।

चाहे हमने किताब प्रकाशित करवाई हो या ना करवाई हो हर समय सिर्फ ही सवाल मन में रहते है । मेरी किताब कौन खरीदेगा ? मुझे तो कोई जानता भी नहीं है, मेरे पास तो मार्केटिंग के पैसे भी नहीं है। आज कि दुनिया मैं कोई किताब खरीदता भी है या नहीं? और खरिदेगा तो भी बड़े लेखक की खरीदेगा ना!

ना जाने कितने सवाल हम बार बार अपने आपसे पूछते रहते है और जब जवाब गूगल या किसी पब्लिशर से पूछते है तो हमें समझ ही नहीं आता है की क्या करना चाहिए।

पहले तो हमारा आप सब लेखकों से सवाल है कि क्या आप सब दूसरों के लिए लिखते है?
क्या आपको सिर्फ नाम और रॉयल्टी ही चाहिए?
क्या दूसरे आपकी किताब लेंगे तो ही आप जीवन में लेखन क्षेत्र में आगे बढ़ेंगे?
क्या आपका लेखन दूसरे वाह वाहई करे तो ही सार्थक है?
क्या आपका लेखन दूसरो से शुरू होकर दूसरो पर ही खत्म हो जाता है???

जिस समय आपको पहला विचार आया की कोई मेरी किताब खरीदेगा या नहीं बस वही से आपने अपने लेखन का मजाक बना दिया। आपने खुद पर विश्वास तोड़ दिया, आपने अपनी लेखनी को पीछे छोड़ दिया। अब तो आपकी किताब पक्का सेल नहीं ही होगी।

लेखन किसी का गुलाम नहीं है। किताब या कुछ भी लिखना दूसरो के लिए नहीं होता है। लेखन अपनी आत्मा को शांत करने के लिए, अपने भावों को व्यक्त करने के लिए, अपनी कला को दर्शाने के लिए, अपने सारे सुख दुःख को एक नाम देने के लिए, कुछ अपनो के लिए लिखकर उनको खुश करने के लिए तो कुछ दूसरों की ही मदद करते हुए कुछ लिखा जाता है। आपको लेखन की कला मिली है क्या वो आपको पैसों से या नाम से बड़ी नहीं है?? आप किसी को भी पूछे कि आपको क्या बनना है या आप क्या काम करते है तो सब यही बोलते है की मैं डॉक्टर बनना चाहता हूं, मैं इंजीनियर बनना चाहता हूं, मैं टीचर बनना चाहता हूं या मैं बैंक में काम करता हूं, मेरा खुद का बिजनेस है।

क्या कभी किसी को यह कहते हुए सुना कि मुझे लेखक बनना है या मैं लेखक के तौर पर काम करता हूं????

नहीं कभी नहीं सुना होगा। शायद! एकाद बार गलती से सुन लिया होगा लेकिन कभी भी इसकी शिक्षा कोई भी नहीं देता है नाही इसकी स्कूल में कीमत करते है। पता है स्कूल में निबंध ( essay राइटिंग) कंपटीशन होता है? वहां जब आप पहले या दूसरे आते है तो टीचर कभी भी यह नहीं बोलेगा की बेटा, तू बड़े होकर एक अच्छा और बड़ा लेखक बनेगा। उसकी जगह आप डॉक्टर बनने लायक नहीं होंगे फिर भी वहां जबजस्ती बनायेंगे।

आज साहित्य शब्द ही पुराना हो गया है। अभी साहित्य का जमाना थोड़ी है भाई अभी तो मार्केटिंग का जमाना है ना? लोगों को अच्छे लिखने से ज्यादा, कोई खरीदेगा या नहीं उसकी पड़ी होती है।

लेखन किसी के पढ़ने या ना पढ़ने का महुताज नहीं है। अगर आपको नाम, प्रसिद्धि या पैसे कमाने के लिए एक अच्छा लेखक बनना है तो हम आपसे हाथ जोड़ते है कि प्लीज किताब प्रकाशित मत ही करवाना। अगर आपके पास करोड़ो रुपए मार्केटिंग लिए हो तो भी मत करवाना। आपको कोई हक नहीं है कि आप साहित्य या लेखन का मजाक बनाए ऐसे सवाल पूछकर।

अगर सवाल पूछने ही है तो यह पूछो कि…
1. क्या यह किताब से किसी की मदद हो सकेगी क्या?
2. क्या मेरे लिखने से मैं साहित्य को आगे ला पाऊंगा?
3. क्या मेरे विचार किसी को गलती से भी दुःख नहीं देगा ना?
4. यह किताब के बेहतरी के लिए मुझे और क्या क्या डालने की जरूरत है?
5. यह किताब का प्रोमोशन मैं खुद अपने दम पर कैसे करूंगी?
6. क्या मैं अपनी एक एक रचना का फोटो इंस्टाग्राम या वीडियो बनाकर यूट्यूब में डालू तो कैसा रहेगा?
7. मेरी किताब के लिए क्या शीर्षक सही होगा?
8. अगर मेरी किताब में दम होगा और मेरे में मार्केटिंग करनी की लगन होगी तो मेरी किताब अपने आप ही आगे बढ़ेगी जिसके लिए मैं गूगल और कुछ यूट्यूब वीडियो देखूंगी लेकिन अभी ही देख लूं या एक बार पब्लिश कर दूं?
9. लाइफटाइम तक कैसे मैं अपनी किताब को प्रमोट करूंगी, अपनी प्रोफाइल भी थोड़ी हाई क्लास बनानी होगी ना!
10. मेरे रिलेटिव्स का क्या रिएक्शन होगा जब उन्हें पता चलेगा मैं किताब लिख रही हूं?

एक असली और जो लेखन के प्रति ईमानदार है वैसे लेखक के यह सवाल होते है। लेखन आपको लेखक बनाता है तो क्या वो लेखक शब्द अपनी जिंदगी में पाकर खुश नहीं है जो रोते फिरते है कि मेरी किताब कौन खरीदेगा???

इस सवाल का जवाब हमें आप कॉमेंट में दीजिए फिर अगले भाग में हम आपको बताएंगे की अपनी किताब की मार्केटिंग कैसे करे?

आशा है अब जो वीडियो आएंगे वो आपकी सोच से काफी अलग होंगे। और यही आपको लेखन क्षेत्र में सही मार्ग देंगे।

अगर आपको आगे लेखन और किताब के क्षेत्र में आगे बढ़ना है तो आज ही हमारी चैनल को लाइक, शेयर और सब्सक्राइब करे।

एक सुविचार आपके लिए…

दर्द से निकली हर एक स्याही लेखनी कहलाती है।

लिखते रहे और स्वस्थ रहें।

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