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बचपन के दिन

Description

छुट्टी के दिन

अब छुट्टी के दिन आए हैं
नानी के घर जाएंगे।।
मेला जाएंगे नाना संग
खूब खिलौने लाएंगे।।

बर्फ का गोला, पानीपुरी
पिज्जा, बर्गर, भेलपुरी।
मामा के संग खाएंगे सब
मुनिया, राजू , सोनपरी।।

देख के डरती मुनिया झूला
दिन में ही दिखते तारे।
डर के आगे जीत है बेटा
उसको समझाते सारे।।

लौट के आते जब मेला से
नाना जी थक जाते है।
मामाजी नाना-नानी के
फिर तो पैर दबाते है।।

वंदना सोनी विनम्र

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