Description
समय समय पर मानव के अंतर्मन में भिन्न भिन्न प्रकार के भाव, समय एवं परस्थितियों के फलस्वरूप उत्पन्न होते रहते हैं, ऐसे भावों को यदि कलम की शक्ति और कागज के पंख मिल जाएं तो निःसंदेह समाज का प्रत्येक व्यक्ति अपनी ऊर्जा का प्रयोग लेखन के माध्यम से समाज को जागरूक करने हेतु कर सकता है। बचपन, किशोरावस्था, यौवन एवं वृद्धावस्था के दौरान विचारों में परिर्वतन आना व्यक्ति के अनुभवों का प्रतिफल ही होता है जो उम्र के साथ साथ अनुभवों के नए सच्चे मोती को निरंतर अपनी जीवन यात्रा के दौरान अपनी माला में पिरोता जाता है और समाज को उन मोतियों की चमक से पथप्रस्थ कर नई दिशा दिखाता जाता है।
अंतर्मन के ऐसे ही अनेकों भावों के मोतियों से सुसज्जित इस काव्य संग्रह “अंतर्मन“ में आप सभी का स्वागत है।
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