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मीठे विष का प्याला

Description

“मीठे विष का प्याला” शीर्षक लेखक की पुस्तक का विषय जो उनकी गहन पीड़ा’ वेदना “मेरे अंतस की घनीभूत संवेदनशीलता, भाव कृति, साक्ष्य स्वानुभूत , संघर्ष की गाथा को प्रस्तुत करती है।

विषमता युक्त परिस्थितियों में, संघर्षरत विपरीत परिस्थितियों से जूझते, सफल प्रयास करते हुए अपने जीवन मे अनवरत , गतिशील होकर उत्तरोत्तर, सफलता की सीढ़ियाँ पार करती चढ़ती चली गई। चेहरे पर विषाद की रेखाओं को कभी झलकने नहीं दिया।
“मीठे विष का प्याला” एक ऐसा अनूठा काव्य संकलन है, जिसमें लेखक ने अपने जीवन के खट्टे मीठे अनुभवों को भाव के अनुरूप शब्दों में ढालकर सहज ही एक संवेदनशील, मन अंतस के तारों को झंकृत किया है——-

मन को साध, स्वत: बन संबल, अधीर मन धीर कर , खुद ही मन को ढाढस प्रदान किया।
सरल नहीं जीवन परिभाषा परिस्थितियों के अनुरूप स्वयं को परिवर्तित किया।
मन वाटिका से स्वयं कली रूप भावो को चुन, सहेज, पुष्पित ,प्रफुल्लित संकलन कर डाला।
शब्द संचयन, मन:अनुरूप अभिव्यक्ति, समन्वित मनभावन संरचन, शीर्षक मीठे विष का प्याला।

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