अपने आप के…. (संघर्ष व अनुभव)

Description

हर रोज हम अपने आसपास बहुत सारी घटनाएँ घटित होते हुए देखते हैं- कुछ छोटी, कुछ बड़ी।
कुछ बातों को हम नजरंदाज कर देते हैं- जाने-अंजाने।
या कहें कि हमें पता नहीं होता कि वो बातें किस हद तक हमारे जीवन का हिस्सा हैं। कई छोटी-बड़ी चुनौतियाँ हमारे सामने आती हैं। जिन्हें पूरा करने के लिए हमें हौसलाअफजाई की जरूरत पड़ती है। हर कविता में आप अपने आप से और अपनी परिस्तिथियों से मिलेंगे।
हमारा बचपन ज़्यादातर माता-पिता के इर्द-गिर्द और विद्यालय में ही बीतता है। पुस्तक की शुरूआत उन पलों को याद करते हुए है। फिर जिन्दगी के सफर में मिलने वाली कई समस्याएँ और रुकावटों को कविता का रूप दिया है। बचपन से जवानी और बुढ़ापे तक का सफर कराएँगी इस पुस्तक की कविताएँ।
“कुछ खट्टे कुछ मीठे पल
कभी जज्बाती होने के पल
कभी रोजमर्रा की ज़िंदगी से तंग आकर
खुद में फिर से उत्साह भरने के पल
आओ देखें “अपने-आप के….. संघर्ष व अनुभव”
जोड़कर देखे मेरी कविताओं से ये पल।”
जब कहीं कोई राह नजर नहीं आती, तब खुद के अंतर्मन में झाँकना जरूरी होता है। हम रोजमर्रा की ज़िंदगी में इतना व्यस्त हो जाते हैं कि खुद को ही भूल जाते हैं। कैसे अपने मन की बात सुनें। कैसे जो चाहते हैं वो ही करें। कैसे जीवन की मुश्किलों से दूर होकर बच्चे बन जाएँ।
मेरी कविताएँ आपको आपके जीवन के उन खट्टे-मीठे पलों की अनुभूति कराएंगी।

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