Description
साहित्य जगत की विभिन्न विधाओं में हम आत्मकथा एवम जीवनी को पाठक सदैव व्यक्तिगत रुचि एवम मनोयोग से पठन करते हैं क्योंकि इस विधा में पाठक सहज ही जुड़ाव महसूस करता है , आत्मकथा एवम जीवनी का मुख्य पात्र ऐसा सामाजिक व्यक्तित्व होता हैं जिसको जानने , पढ़ने की जिज्ञासा पाठक को प्रेरित करती है।
यह आवश्यक नहीं की उक्त पात्र सदैव सकारात्मकता से परिपूर्ण हों। यहीं कारण है की हम राजनीतिक,सामाजिक क्षेत्रों के साथ साथ खेल और अपराध जगत के विभिन्न चरित्रों पर आधारित जीवनियां या आत्मकथाओं को प्रसिद्धि पाते देखा है ।
हमने बाबा साहेब के सामाजिक संघर्ष, महात्मा गांधी और नेल्सन मंडेला के राजनीतिक संघर्ष और एडोल्फ हिटलर , मार्टिन लूथर , नेपोलियन की नेतृत्व , सैन्य क्षमता सहित , काले सफेद प्रत्येक अध्याय को उनकी जीवनी या आत्मकथा से ही जाना है, क्योंकि आत्मकथा में लेखक स्वयं अपने सम्पूर्ण जीवन के घटनाक्रम को सुसंगठित रूप में प्रस्तुत करता है, हालांकि इसमें नकारात्मक संस्मरणों से परहेज के आरोप भी लगते ह लेकिन उक्त आरोपों से इतर आत्मकथा का अपना महत्व है इसी कड़ी मे
श्रीगंगानगर में 17 वीं लोकसभा के विकास पुरुष पूर्व केंद्रीय मंत्री निहालचंद मेघवाल पर कुछ पंक्तिया कवि एन पी सिंह की इस प्रकार हैँ :-
देखता हूँ हर ओर
एक उद्वेलन
आक्रोश, व्याकुलता,
सुनता हूँ गोष्ठियों में तीखे स्वर,
संकल्प समूह नष्ट करने का,
करने का सृजन
व्यवस्था का बेहतर विकल्प,
प्रबल वेग बौद्धिक विमर्श का
अकल्पनीय झंझावात
सुनामी-सा जनांदोलन,
कुछ छींटे, कुछ चीख़ें,
कुछ सीखें।
मैंने साहित्यिक क्षेत्र मे शोध पत्र, सेमिनार ओर किताब लिखने तक की कड़ी मे मेरे प्रेरणा स्त्रोत, विद्या की देवी माँ सरस्वती, कुल देवता एवं पिता श्रीमान श्रवणकुमार, माता श्रीमती भागवन्ति, धर्म पत्नी श्रीमती शारदा देवी, बेटी ट् विंकल बेटा भीमसेन, पूर्व केंद्रीय मंत्री श्रीमान निहालचंद मेघवाल, पूर्व जिलाध्यक्ष श्रीमान आत्माराम तरड़ एवं श्रीमान हरिसिंह कामरा, श्रीमान अशोक नागपाल, पूर्व विधायक श्रीमान लालचंद मेघवाल, श्रीमती संतोष बावरी, श्रीमती शिमला बावरी , पूर्व बीजेपी देहात मंडल अध्यक्ष श्रीमान गुरूमुखसिंह ढोट, समाजसेवी श्रीमान रामदास सोनी, श्रीमान गणेश शर्मा, श्रीमान विकास पूनिया,श्रीमान राजाराम एचेरा, शिक्षाविद श्रीमान महेन्दकुमार चौधरी, श्रीमान निर्मलकुमार बिश्नोई, श्रीमान सोहनसिंह राठौड़ ,श्रीमान इंद्रमोहन ओझा, डॉ अरविन्दकुमार दीक्षित, डॉ गणेश राम शर्मा, श्रीमान तरुणतनेजा, श्रीमान जसविंद्रसिंह दानेवालिया का आभारी रहूंगा क्योंकि इन, देवताओं, माता – पिता, बुजर्गो, शिक्षाविदों का आभारी रहूँगा | मैंने ऐसे प्रमाणित एवं विश्वसनीय तथ्यों को शामिल किया हैँ किन्तु फिर भी कोई चूक या गलती रहती हैँ तो क्षमा प्रार्थी हूँ।
धन्यवाद ।
सम्पादक
डॉ ओमप्रकाश मेहरडा
(नेट, पीएच. डी,डी. लिट) लोकप्रशासन
एसोसिएट प्रोफेसर,
लोक प्रशासन एवं राजनीति विज्ञान विभाग, श्री कुशाल दास विश्वविद्यालय हनुमानगढ़ जंक्शन
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