किताब की आत्मकथा

नमस्ते, आप सब मुझे तो जानते ही होंगे?

मैं किताब हूँ |

जैसे एक औरत के कई रूप होते हैं वैसे ही, मेरे भी कई रूप हैं |
पहले मैं एक लकड़ी हूँ, फिर लकड़ी को काटकर पानी और कुछ रसायन बनाकर पेपर बनता है फिर वो पेपर से किताब, न्यूज़ पेपर, बॉक्स ; इत्यादि जैसी चीज़ें बनती हैं I अगर देखा जाए तो मैं कुदरत का ही एक हिस्सा हूँ I

मेरा काम तो जल्दी सुबह से शुरू होते देर रात तक होता है I सुबह सबसे पहले न्यूज पेपर वाले माल लेते हैं तो , ग्राहक चाय की चुस्की लेते हैं , दूसरे हाथ में पेपर पढ़ना पसंद करते हैं I

देश हो या विदेश दुनिया में, आकाश में भी मेरा उपयोग किया जाता है I नर्सरी से लेकर जीवनभर मुझे पढ़ने वालों के लिए मैं सफ़लता की कुंजी हूँ I स्कूल , कालेज की पढ़ाई हो या हॉस्पिटल के रिपोर्ट, या गवर्नमेंट कागजात, नौकरी हो या व्यवसाय, हर जगह कभी किताब के माध्यम से तो कभी महत्वपूर्ण कागजातों के माध्यम से मेरी आवश्यकता पड़ती है I

मुझे लिखने वाले और पढ़ने वाले का जीवन बहुत ही आसान हो जाता है I मैंने आज तक सिर्फ लोगों को ज्ञान और अपनापन ही दिया है I

केवल स्कूल या कॉलेज की किताबों के रूप में ही नहीं बल्कि, हिन्दू की गीता, मुस्लिमों की कुरान, सिक्खों के गुरु ग्रंथ साहिब, और हर धर्म के सार को मुझ में लिखा गया है l

अभी तो कुछ लोग मेरा ही बिजनेस करते हैं और मुझे दुल्हन की तरह सजाते हैं I जब मुझे बाहर से सुंदर बनाते हैं , तब मुझे बहुत खुशी होती है I जब लोग मुझे ऑनलाइन माध्यम से ऑर्डर करके पढ़ते हैं, तब मुझे मेरी वैल्यू होती है I आज कल तो लोग मुझे खरीदने पर रॉयल्टी से पैसे कमाते हैं |

मैं कब ज्ञान के सागर से लोगों की खुशी की वजह बन गई पता ही नहीं चला! आज शिक्षा के माध्यम और बढ़ते हुई ज्ञान के सागर से मैं हर एक घर में हूँ लेकिन, दूसरी ही तरफ बढ़ती हुई तकनीकी से लोगों को मुझे पढ़ने में बहुत दिक्कत होती जा रही है I लोग ऑडियो बुक और वीडियो के जरिए मुझे पढ़ते हैं लेकिन , इससे उनकी विचार क्षमता कम होती जा रही है और आँखों पर चश्मा लग गया है l बढ़ती हुई बीमारी देखकर बहुत बुरा लगता है, लेकिन मैं कर भी क्या सकती हूँ ? अगर मैं बोलूंगी की मुझे पढ़ो तो लोग मुझे स्वार्थी मानते हैं I
और कुछ लोग मेरा बहुत अपमान करते हैं , तब मुझे बहुत बुरा लगता है I

स्कूल और कॉलेज वाले बच्चे मुझ पर बहुत गुस्सा करते हैं, जब मुझे नया-नया लेते हैं तो मेरा बहुत अच्छा ध्यान रखते हैं लेकिन, कुछ ही दिनों बाद परीक्षा के समय मुझसे पूछते हैं कि तुम्हें किसने बनाया, किसने पढ़ने लिखने की शुरुआत की और ऐसे सवाल जिसका जवाब सिर्फ समय ही उनको दे पाता है I जो लोग मुझे पढ़ते हैं और समझते हैं , वो एक डॉक्टर, इंजीनियर, सरकारी अफसर बनते हैं | मुझे पढ़ने वाला एक अच्छा इंसान तो बनता ही है और जो मुझे नहीं पढ़ता वो जिंदगी की उलझनों में उलझा रह जाता है I कई लोगों ने मेरे द्वारा अपनी कहानी लोगों तक पहुँचायी | मेरा उपयोग तो कोई कभी भी कर सकता है और कुछ लोग तो मुझे अपना दोस्त भी मानते हैं |

मैंने तो कितनों को करोड़पति बनाया तो कितने मेरी पूजा करते हैं,
मैं तो माँ सरस्वती की निशानी हूँ,
मैं ज्ञान का सागर हूँ |
जब तक दुनिया में शब्द हैं,
तब तक मैं हूँ,
मुझे कोई मिटा नहीं सकता,
क्योंकि, मैं एक किताब ही नहीं शब्दों और ज्ञान का सागर हूँ |

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