Description
सागर मध्य प्रदेश के वररष्ठ कधव व ृंदावन राय सरल जी ने साधित्य ममाज्ञ काव्य की सभी धविाओृंमेंरचनाओृंका लेिन धकया िै। उनकी सातवीृंधकताब “आसमान मन मेंउतार ले” के गीत वीराृंगना लक्ष्मीबाई पर उनकी रचना देशप्रेम से ओतप्रोत िै। गीत “िमको लेचल पिी मन के, उजडेव ि सभी उपवन के ।“ उनके प्रक धत प्रेम को धचप्तित करता िै। िर िालत मेंदेश को रिना िमेंअिृंड ,सृंदेश प्रद रचना प्रेरणादायक िैव अलगाववादी ताकतोृंव देश के दुश्मनोृंको सचेत कराती रचना िै। गीत “धबधटया” सामाधजक सृंस्कारोृंकी सुृंदर झाृंकी िैव नारी सशप्तिकरण को प्रेररत करती िै। गीत “िानदान की शान धपताजी” पररवार के मुप्तिया के प्रधत आत्मबोि कराती रचना िै। एक धपता मेंसभी िूधबयोृंको दशााता श्रेष्ट गीत िै। “भारत िमको जग सेप्यारा” गीत दुधनया को भारत के प्रधत अपनी धनष्ठा व प्रेम को दशाातेहुए गौरवपूणागाथा को रेिाृंधकत करता िै। गीत “वेदोृंके अनुसार बटोिी” साथाकता सेसमाधित धचिण िै। गीत जब जब वो मेरेघर आये… मेिमान केधलए प्रेम व भगवत स्वरूप को प्रदधशात करता िै। गीत “धनष्छल प्रेम” उनकेधनष्छल प्रेम भाव को प्रगट करता िै। “सूरज जैसा अगर धजए तो….” प्रेरणादायक अनुपम अधभव्यप्ति िै। पत्नी को समधपात उनका गीत मानस पटल को अृंतस तक झकझोरती आसमान मन मेंउतार ले| ब ृंदावन राय सरल साथाक स जन िै। शिीद सुभाि चन्द्र बोस पर धलिी रचना देशभि और देशभप्ति का अनुपम सृंगम िै। कधव पद्माकर पर धलिी कधवता कधव केधनमाल साधित्य सािना को अलृंक त करता िै। वररष्ठ कधव गीतकार श्री व न्दावन राय जी अधभयृंता िमी िोते हुए भी कधवता गीत ग़ज़ल सजल समीिा दोिा िाइकुलघुकथा के कु शल धशल्पी िैं। उनकी रचनाओृंसेकधवयोृंसाधित्यकारोृं को प्रेरणा प्रदान िोगी व साधित्य की पावन िारा गृंगा-जमुना की भाृंधत अनवरत प्रवाधित िोती रिेगी। उनकी धकताब “आसमान मन मेंउतार ले” सभी केधदल में
अपनी जगि बनानेमेंसफल िोगी।
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