Description
संग्रह के शीर्षक “काटे पेड़ चिनार के” से ही स्पष्ट है कि इसमें पर्यावरण, समाज, गिरते नैतिक, सामाजिक, राजनीतिक मूल्यों पर चिंता व्यक्त की गई है। इस संग्रह में शामिल सभी 1111 दोहे इस विधा के नियमों की कसौटी पर तो खरे उतरते ही हैं साहित्यिक स्तर पर भी खरे उतरते हैं। साहित्य में हमेशा सामाजिक सरोकारों को प्रमुखता मिली है और मिलनी भी चाहिए। दोहा काव्य की ऐसी विधा है जिसमें कबीर, रहीम, रसखान, तुलसी और सूर जैसे महान कवियों ने कालजई दोहों की रचना की है। उनके दोहे मार्गदर्शन का काम करते हैं। अंत में मुझे यही कहना है कि मनजीत शर्मा ‘मीरा’ का दोहा-संग्रह “काटे पेड़ चिनार के” जनमानस तक पहुँचने वाली दोहा जैसी विधा को एक बार फिर से लोकप्रिय करने का कार्य करेगा।
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