Description
दो युवा कवव श्री मोहन कु मार एवं कु मार मंगलम ‘रणवीर’ की कववताओं सेयदा कदा गुजरती रही हूँ, अब इनका साझा काव्य-संग्रह ”घन वतवमर मेंकाव्य-ज्योवत” प्रकावित होनेको है। इनके मौवलक ववचार, वचंतन एवं अविव्यक्ति मेंगहन आकर्षण है। सामान्यतया जीवन के यथाथषवचत्र प्रस्तुत करनेवाले’रणवीर’ का प्रकृ वत सा वनश्छल स्विाव प्रकृ वत के नायाब दृश्योंमेंिी खूब रमता है। जीवन की गवतमयता मेंकवव लय-ताल िरता है, किी तड़पता किी ववहूँसता है, अपनी यात्रा मेंसीख रहा है।
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