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चलता चल मनवा राही।

Description

इस किताब के माध्यम से लेखक यह कहना चाह रहा है कि हम एक बिंदु की तरह अपनी सोच को किसी एक चीज पर अटका देते हैं। और अगर हम अपने नेत्र खोल कर प्रभु को उसकी भावनाओं को समझे तो वह बिंदु सिर्फ हमारी सोच में है हमारी जिंदगी में नहीं इसलिए ही लेखक का उद्देश्य यह कहना है चलाता चल मनवा राही।

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