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जीवन ज्योति

Description

सफलता जब चूमती है कदम
पुलकित हो उठता है तन-मन।
प्रयास को जब मिलता परिणाम,
बढता स्वयं पर तब अभिमान।
अपनों की मिलती है जब बधाई,
प्रस्फुटित हो जाती है उर्जा नई।।

और अधिक परिश्रम को हो प्रेरित,
दूभर मंजिलों को होते हैं अग्रेषित।
इक चक्र है यह, परिश्रम से प्रतिफल,
कभी होते सफल, तो कभी असफल।
पुनः प्रयत्न, निरंतर अविराम अभ्यास,
जीवन जब तक है, करते रहना है प्रयास।।

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