Description
जैसे जीवन का कोई वृत्त पूरा नहीं हो सकता वैसे ही जीवन के हर अधूरे सफे की पूरी कहानी भी अधूरी लगती है । इस संग्रह की कविताओं में जामुनी बादलों के अख्स हैं, लगी हुई फांस की चुभन है, अपेक्षाओं के आँगन हैं । इसलिए इन्हें पढ़ते हुए सिर्फ भाषा और उसकी त्रिज्या पर ही ध्यान न दें, अनुभव की तीक्ष्णता पर भी नज़र रखें, तो रचना के साथ-साथ बह पाएंगे| वैसे, यह सब कविता के प्रति समर्पण भाव से उपजा है । मगर यह सिर्फ निजी संवेदनाओं और नाराजी का विज्ञापन भर नहीं है ; – इसमें आकांक्षाओं के दीपित चित्र भी हैं । इसलिए वह मन की प्यास को झुठलाते गीतों से अलग, कुंठा के व्यापार से दूर, सीधे – या कहें सरल तरीके से अपनी बात रखने की कोशिश है।इसमें विनम्र प्रयास यह रहा है कि भाव की अनुगामिनी की तरह भाषा चलती रहे ताकि आद्योपांत कहीं भी पाठक के भावों से टकराए नहीं ।
कविता वैसे भी अपनी अमूर्तता के बावजूद अनेकानेक अनुभूतियों को अपने में समेटे चलती है । इसमें वैयक्तिक अनुभूतियां अपनी व्यष्टि में अथवा समष्टि में प्रकट होती रहती है।
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