Description
“समुद्र-मंथन” तथा “चाँद की बाँहों में है तस्वीर तुम्हारी” की लेखिका कौमुदी की गद्य-शृंखला में पहली पेशकश- हृदय की भावना रूपी सुकोमल पुष्पों की सुगंध से सुसज्जित किताब “पाती तुम्हारे नाम की”। इस किताब में 60 ख़तों के माध्यम से लेखिका ने जीवन, उम्मीद और प्रेम को उकेरा है। 183 पन्नों की यह किताब निराश लोगों को हौसला देने का एक सुंदर प्रयास है। यह किताब लेखिका की वह कोशिश है जो टूटे लोगों के लिए प्रेरणा बनकर उतरी है। इसमें लेखिका ने अपनी कलम से समाज में व्याप्त कुरीतियों तथा रूढ़िवादी सोच पर प्रहार भी किया है।
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