Description
‘मेरा जीवन ही मेरा संदेश है ‘ मेरी पहली पुस्तक है। इसमें प्रस्तुत एक-एक कविता काल्पनिक हैं। फ़िर भी यकीनन पाठक को ऐसा अनुभव होगा कि इस पुस्तक की कोई न कोई कविता उनके व्यक्तिगत जीवन से संबंध रखती है। प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में निरंतर उतार-चढ़ाव होते रहते हैं, जिसके कारण उसका जीवन संघर्ष से भर जाता है। निर्णय ले पाना मुश्किल हो जाता है कि करें तो क्या करें! उस परिस्थिति में भी संघर्षशील व्यक्ति संघर्षपूर्ण जीवन व्यतीत करते हुए इतिहास रच डालता है जो औरों के लिए संदेश साबित होता है।
जिस तरह इश्क़ छुपता नहीं छुपाने से, उसी तरह हम मानव की भावनाएं छुपती नहीं हैं छुपाने से। वे कभी कर्म तो कभी वचन के रूप में प्रदर्शित होती रहती हैं। किन्तु कवि अपनी भावनाओं को लेखनी के माध्यम से शब्दों को सजाकर उन्हें कविता का रूप देता है। कविताएं कल्पित होती हैं परिवेश, परिस्थिति और स्थान के अनुसार। मेरा जन्म न तो वैसे परिवेश, परिस्थिति और न ही वैसे स्थान पर हुआ जहाँ कविता रचने का हुनर मिल सके।
कोरे कागज पर काले अक्षरों से अनभिज्ञ अति साधारण ग्राम्य-जीवन व्यतीत करनेवाले श्री यमुना सिंह और विद्या देवी की गोद में पला-बढ़ा मैं उनकी छट्ठी संतान हूँ। जैसे-जैसे उच्चत्तर शिक्षा ग्रहण करता गया वैसे-वैसे मेरा माहौल बदलता गया। स्तरीय विद्वानों और साहित्यकारों के शुभाशीष एवं मार्गदर्शन के परिणाम से मेरी लेखनी का सफ़र शुरू हुआ। मैं अपने माता-पिता, गुरुजन एवं सभी शुभेच्छुओं का आभार व्यक्त करता हूँ।
मेरी कविताओं को पुस्तक का रूप देने में डॉ० ओमप्रकाश जमुआर (पूर्व निदेशक, दूरदर्शन केन्द्र, पटना) का अवर्णनीय सहयोग रहा। मैं सर के प्रति हृदयतल से कृतज्ञ हूँ।
~ हरेश कुमार
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