Sale!

मोहे चढ गया रंग

(6 customer reviews)

Description

मैं आज चला हूं कल के लिए
दो पल नही हर पल के लिए।

सीमा पर खड़े सैनिक से लेकर, खेत मे पसीना बहाते हुए किसान और भक्ति में लीन भक्तों से लेकर भूखे पेट सोते हुए मनुष्य की भावनाओ को कविता, गीत व अन्य छन्दों को एक धागे ” मोहे चढ़ गया रंग ”

में पिरोकर प्रस्तुत करने का प्रथम प्रयास ।
आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए बहुमूल्य है धन्यवाद वाद………

6 reviews for मोहे चढ गया रंग

  1. 5 out of 5

    Shubham Yadav

    The best preparation for tomorrow is doing your best today

  2. 5 out of 5

    Shubham Yadav

    The best preparation for tomorrow is doing your best today nice

  3. 5 out of 5

    Sooraj

    Nice book.
    Loved it.

  4. 5 out of 5

    Sooraj Yaduvanshi

    Nice book.
    Loved it.
    Best of luck

  5. 5 out of 5

    Dheeraj Krishnavanshi

    Words from a gentle person who has motivating the society through his work and thoughts in form his profession as a Doctor and a Social Worker along with his words in this Book : Mohe Chadh Gaya rang , truly amazing !!

  6. 5 out of 5

    Sunil Chaurasia

    इस कविता के माध्यम से यह महसूस होता है कि हर व्यक्ति के संघर्ष के पीछे एक कहानी है, और हर कहानी हमारे ध्यान और सहानुभूति के योग्य है।
    इस तरह की कविताएँ हमें जीवन की सच्चाईयों से अवगत कराती हैं और हमें सोचने पर मजबूर करती हैं कि हम भी अपने जीवन के संघर्षों का सामना कैसे कर सकते हैं।

Add a review

Your email address will not be published. Required fields are marked *