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यम …?!

Description

यह क्या है ? जब हम अर्द्धनिद्रा या ध्यान की छांव में हों तो दो यमदूत फरसा लेकर आएं ? उनमें से कोई एक कहे कि चलो, चलते हैं।हम एक का फरसा लेकर चल देते हैं । एक गली में पहुंचते हैं और चीख – चीख एक लड़का को पुकारते हैं । वह जब अपने मकान से बाहर आता है तो हम उस पर फरसा से वार करते हैं। यह क्या है? जब हम इस अवस्था से निकल कर इस दुनिया में आते हैं तो तीन घण्टा बाद कालेज ड्यूटी पर निकल पड़ते हैं।कालेज में पता चलता है वह लड़का गंगा स्नान करने बाइक से गया था और रास्ते में एक एक्सीडेंट में मारा जाता है ।यह क्या है ?ब्रह्मण्ड  के सूक्ष्म जगत में क्या ऐसी भी स्थिति है जो देह के जन्म व मृत्यु का कारण बनती है।सनातन यात्रा में ऐसी भी स्थिति बतायी जाती है कि किसी प्राणी के देह की ऐसी भी मृत्यु हो सकती है जिसमें यमदूत व यम की कोई भूमिका न रह जाये? देह का अंत प्रकृति अभियान में समय आने पर स्वतः हो जाये और आत्मा सूक्ष्म शरीर के जन्म व मृत्यु के कारण स्थिति में या स्थिति से ऊपर की यात्रा पर निकल पड़े?हमारे व जगत के अंदर जब स्वतः, निरन्तर, स्वयम्भू, स्व चिकित्सा ,स्व समाधान है तो मनुष्य के बस में सिर्फ कर्तव्य ,सेवा (मानव शान्ति व समाज शांति आदि)  व भजन (मन का जगत की ओर आकर्षित न हो अंतर्दशा में लीन रहना) है।यम अंतर दशा का एक ऐसा प्वाइंट भी है जिसको यदि देहान्त से पहले महसूस कर लिया तो मन स्वतः जगत की अशांति से प्रभावित हुए बिना अन्तरशान्ति, आत्मा की शांति पर चल पड़ता है।जहाँ भयों के मूल कारण देहान्त से मुक्त हो यम व यम दूतों को दशा से मुक्त जो जाते हैं यम व यमदूतों की दशा तो उनके लिए है जो अभी जगत या जगत की किसी वस्तु या देह से चिपके हुए है और अभी देहान्त नहीं चाहते या फिर देहान्त को न चाहते इस यम या यम दूत दशा से हम तब मुक्त हो सकते हैं जब हमारा उद्देश्य सिर्फ सिर्फ जगत कल्याण रह जाये औऱ जगत व देहों की कोई अदा हमें प्रभावित न कर सके।यह सब हमारा निजी वक्तव्य है, इस पर किसी को सहमत होने की जरूरत नहीं है।

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