Description
हम कोरोना विश्वमारी / महामारी के काल से निकल कर खुली हवा में सांस लेने वाले सौभाग्यशाली मानवों में से एक हैं। निश्चित ही यह एक सुखद एहसास है।
समसामयिक और कालजयी रचनाओं के बीच कितना अंतर होता है, यह तो आप ही बता सकते हैं। कई बार कालजयी रचनाएँ, समसामयिक हो जाती हैं और समसामयिक रचनाएँ, कालजयी।
संवेदनाओं को समय की पालकी पर सवार कर दीजिये, फिर संभावनाएं तय कीजिये।
इन सबके बीच अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता हाशिये पर क्यों? विचार कीजिये।
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