Description
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, उसके मन में नवीनतम विचारो का संचार होता है। भाषा मनुष्य और समाज के मध्य का सेतु का कार्य करती हैं। किसी भी भाषा की समृध्दि की पहचान उसके प्रयोग एवं प्रयोजनों से होती है। इससे उसकी शक्ति एवं क्षमता का परिचय होता है। वर्तमान समय हिंदी भाषा के लिए अत्याधिक चुनौतीपूर्ण हो रहा है। हिंदी को अंग्रेजी की तुलना में अधिक प्रायोगिक, व्यावहारिक सेवा-माध्यम एवं रोजगार की भाषा है,ऐसा उसे स्वंय सिद्ध होना पडेगा।साथ ही साथ कम्प्यूटर के इस युग में हिंदी के नवीनतम साफ्टवेयर के प्रयोगों की समग्र जानकारियाँ एवं प्रशिक्षण भी सभी को देना होगा ,तभी हिंदी जनसंचार के क्षेत्र में सूचना प्रौद्योगिकी तथा अनुवाद की भाषा बन सकेंगी और हिंदी की प्रयोजनीयता सिद्ध हो सकेंगी।
इस महत्वपूर्ण अभिष्ट की प्राप्ति के लिए राजभाषा हिंदी के विकास के विविध क्षेत्रों-जैसे वाणिज्यिक, सूचना प्रौद्योगिकी, जनसंचार, अनुवाद आदि में लेख प्रस्तुत किये गये है साथ ही हिंदी के प्रसिद्ध साहित्यकारों का अनुवाद क्षेत्र में महनीय योगदान एवं साहित्यिक प्रतिभा को निबंधों में साकार रूप दिया गया है।
परिणामस्वरूप हिंदी के विकास से भारत की अस्मिता विश्वपटल पर सुदृढ हो सकेंगी ।भारत वर्ष के जनमानस के ह्रदय पटल पर ‘हिंदी ‘राष्ट्रभाषा के रूप में आसीन है किंतु अब राजभाषा के रूप में कार्यालयीन जानकारी एवं ज्ञान से अवगत कराती है। जो हमारे जीवन को नयें आयामों से जोडती है। ‘ शोध सारांशिका’ किताब में शोध के विविध विषयों का सार दिया है जिससे अनुसंधानकर्ता नवीनतम विषय का चयन कर, समाजपयोगी अनुसंधान कर, समाज एवं राष्ट्र के विकास में योगदान प्रदान करें।वैश्विक पटल पर हिंदी का स्थान बनाए रखने में सक्षम हो।
साथ ही यह किताब हमारे चरित्र निर्माण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निर्वाहित करेंगी साथ ही हिंदी भाषा के माध्यम से स्वर्णिम रोजगार के अवसर को उजागर करती है।तभी हिंदी का पथ प्रशस्त हो सकेंगा छात्र, प्राध्यापक गण एवं समाज के लिए उपयोगी सिद्ध होगी ऐसा मुझे विश्वास है।
मेरी यह पुस्तक ‘शोध सारांशिका ‘ में मैंने निबंध लेखन के व्दारा नवीनतम शोध की दृष्टि को प्रस्तुत किया है। उसे सटिक अभिव्यक्ति देने का लघु प्रयास लेख के माध्यम से किया है।
डॉ. सुनिता शिवशंकर बुंदेले
आधिव्याख्याता
अनुवाद हिंदी विभाग
संत गाडगे बाबा अमरावती विद्यापीठ अमरावती
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