Description
साधना सचान जी के पिछले दो संग्रहों का मैनें गुनगुनाते हुये अध्ययन किया है,अब इस संध्या सुंदरी को पढ़कर ऐसा प्रतीत होता है कि उनका प्रयास मधुमक्खी का सा है जो अपने मधु-कोष में विभिन्न फूलों के रस इकट्ठे करती है। कलमकारा का उद्देश्य उच्च है । बिखरे भाव बीजों को उन्होंने स्नेह सलिल से सींचा है।आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है वह अंकुरित होगा और समय पर सुंदर फूल – फल भी लायेगा । पाठक स्वयं अनुभव करेंगे कि कवयित्री ने अपनी लेखन शैली से ,आरंभ से अंत तक भाव पक्षों की बहुत सुंदर विकास यात्रा की है।
प्रस्तुत काव्य में समाहित उपदेश, उच्च आदर्श सांसारिक अनुभव एवम् समय – समय पर हृदय में उठने वाले विचार पाठकों के मन में एक स्थायी प्रभाव डालेंगे । कम से कम शब्दों में अधिक से अधिक भाव सम्प्रेषण के लिए वैसे ही मनहरण घनाक्षरी ,दोहा और मुक्तक हृदय ग्राही रूप में सामने आते हैं। मेरा विश्वास है कि लय पूर्वक मनहरण घनाक्षरी, दोहों और मुक्तकों को गुनगुनाने पर मेरे इस विचार से पाठक अवश्य सहमत होंगें । इस काव्य संग्रह में सामाजिक चेतना जगाती हुई रचनाएँ हैं, जीवन दर्शन है, प्रकृति के प्रति प्रेम है ,संबंधों की महत्ता है । कवयित्री द्वारा रचा गया यह सुन्दर शब्द उद्यान है जिसमें काव्य रूपी विविध पुष्प खिले हैं।
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