Description
हौसलों के पंख हों तो आसमां छू आयेगा।
कुछ भी है मुश्किल नहीं जो तू नहीं कर पायेगा।।
मेरी स्वरचित यह पंक्तियां मेरे स्वभाव के अनुरूप हैं। मैं किसी भी काम को मुश्किल नहीं समझती शायद यही हिम्मत मुझे मेरे मुकाम तक पहुंचा देती है।
मेरे जीवन में कई मुश्किलें मेरा रास्ता रोकने आईं कई असहनीय गम भी मिले परंतु ईश्वर के प्रीति अटूट आस्था ने कभी मुझे कमजोर नहीं होने दिया। ईश्वर ने मुझे सहनशक्ति प्रदान किया जिससे मैं घनीभूत पीड़ा से उबर कर शारदे मां की कृपा से साहित्य के क्षेत्र में सफलता प्राप्त किया।
गीत संगीत से शुरू से लगाव होने के कारण मैं धुन पर गीत लिखती थी स्कूल में भी पढ़ने के दौरान गीत लिखकर सुनाया जिससे मुझे प्रधानाध्यापक द्वारा सम्मानित भी किया गया था। नव यौवन की दहलीज पर आते ही कम उम्र में ही दांपत्य जीवन की जिम्मेदारियों से बंध गए। परंतु उसके बाद भी शिक्षा ग्रहण किया।
उसके बाद जब मैंने कालेज में पढ़ाया तो उस दौरान भी सांस्कृतिक कार्यक्रमों में अभिरुचि रखने के कारण छात्र छात्राओं को प्रैक्टिस करवाकर आयोजन करवाए।
तब मुझे यह ज्ञात नहीं था कि एक दिन मैं साहित्य में संलग्न होकर साहित्यकार बन जाऊंगी।
मेरा दाम्पत्य जीवन चंद्रकलाओं से परिपूर्ण होकर चांदनी दिव्यमान कर रहा था कि अचानक काल के क्रूर चक्र ने मेरे पति को अपने आगोश में ले लिया फिर मेरा चांद मुझसे हमेशा हमेशा के लिए दूर हो गया। अचानक इतना बड़ा आघात मिलने पर विरह के अथाह सागर में डूब गई। मन अत्यंत अकेला और पूरी जिम्मेदारी ऊपर आ गई। विरहाकुल मन से शारदे मां ने सर्व प्रथम विरह गीत लिखवाना शुरू किया इसके बाद कानपुर एवं उसके बाहर भी कई संस्थाओं से जुड़ गई। जिनसे मैंने कुछ न कुछ सीखकर आगे बढ़ती गई । उसके बाद तो कलम हर प्रकार के गीत, श्रंगार रस , सामाजिक, समसामयिक, देश प्रेम, नारी सशक्तिकरण आदि विषयों पर लिखने लगी।
गीत के अलावा ग़ज़ल,दोहा,मुक्तक,छंद युक्त,छंद मुक्त ,बाल कविता,हाइकु , पिरामिड लगभग सभी विधाओं पर लिखने लगी परंतु मुख्य विधा गीत और ग़ज़ल है।
लिखने को तो कहानी,समीक्षा,सहसंपादिका की भूमिका का भी निर्वाहन किया।
साहित्यिक अभिरुचि के कारण दिन रात परिश्रम कर के विधाओं के अंतर्गत लिखकर सबसे पहले गीत गज़ल की किताब खेल धूप छांव, इसके बाद दूसरा संग्रह “मैं कविता हूं”(काव्य संग्रह) जिसका लोकार्पण दुबई में किया। यह काव्य संग्रह मीरा बाई सम्मान से सम्मानित भी हुआ।
तीसरा “गहरा सागर लहरें ऊंची” (गीत संग्रह), चौथा बाल कविता “बंदर मामा पहने चश्मा”, पांचवा ग़ज़ल संग्रह हसरत – ए – दीदार , छठा “ढोल बजाता हाथी आया” (बाल कविता) और यह सातवां संग्रह “अनुभूतियों का सागर” (गीत संग्रह)आप सभी को सुंदर और भिन्न भिन्न गीतों से गुलदस्ता बनाकर आप सभी को समर्पित कर रही हूं आशा करती हूं मेरा कृतित्व आप सभी को पसंद आयेगा। और इस गीत संग्रह को पढ़कर अपने विचार मुझसे साझा करेंगे। अगर कहीं कोई त्रुटि हो गई हो तो मुझे माफ करेंगे।
इसी आशा के साथ मेरी कलम जब तक मेरा तन मन के साथ शारदे मां साथ देती रहेंगी मैं अपना साहित्य आप सभी को समर्पित करती रहूंगी।
इस गीत संग्रह की भूमिका लिखने के लिए आ0 हरी लाल मिलन जी का आभार प्रकट करती हूं।
~ डॉ. कमलेश शुक्ला “कीर्ति”
साकेतनगर,कानपुर।
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