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Ye Shehar Nigal Raha Hai Mujhe

Description

ये किताब भी लेखक की पहली किताब कागज़ की नाव की तरह यूँ ही बस लिख दी गई है। इन रचनाओं को गढ़ते समय ये कभी नहीं सोचा गया था की इन्हें वो किसी को सुनाएंगे। इन रचनाओं का उद्देश्य सिर्फ इतना सा था की जो लेखक कह नहीं पाते, वो लिख देंगे, किसी को समझाने के लिए नहीं बस यूँ ही लिख देंगे। लिख देने के बाद उन्हें हमेशा ऐसा महसूस होता है की जैसे उन्होंने वो बात किसी अपने को बता दी हो, किसी ऐसे को जिस पर लेखक को भरोसा है जिसे राज़ को राज़ रखना आता है।
खैर ये किताब कई तरह के एहसासों और जज़्बातों से लिखी गई है कृपया इसकी तुलना किसी भी शायर से न करें, वह एक नौसिखिया है और उन्हें वही रहना है।

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