July 29, 2024

प्रिय आत्म । सुनो तुम किञ्चित बात, क्या भूल हुई जो ना हुई हमारी बात ? और हुआ, छटा दिनकर की उदय हुई, खग-दल की मधु तान सुन रैना बीत गई। कतिपय, तुम सुप्त रहे या तंद्रा बलशाली थी, शायद ! तुमको एकाकीपन की अधिक चाह थी। दिन चढ़ आया, समय पथ गतिमान हुआ, किंतु…

July 29, 2024

सुनो… ठीक … तुम्हारे पीछे लगते लगते वक्त लगा.. एक पत्र लिखकर ख़ुद वो कहा.. क्यों खोए हो और ख़ामोश अब .. जिम्मे में शामिल क्या हुआ प्रेम या जिम्मेदारी जब आगोश में बड़े हुए तब। अब ऐसा है देखो प्रेम , त्याग की बात तो है ही और जो शांत सितल क्यों हो गए…