वैदिक ज्योतिष शास्त्र में कुंडली का विशेष स्थान होता है। कुंडली को पत्रिका या जन्मपत्री के नाम से भी जाना जाता है। दरअसल कुंडली जातक के जन्म के समय आकाश मंडल में उदित हो रहे नक्षत्र, राशि और ग्रहों का एक संयोजन है। जब कोई जातक इस पृथ्वी पर जन्म लेता है तो उसी समय उसकी कुंडली का निर्माण हो जाता है। जन्म के समय पूर्वी क्षितिज पर जो राशि उदित होती है वहीं जातक की लग्न होती है। इस लग्न के आधार पर संपूर्ण कुंडली का निर्माण होता है। जन्म कुंडली को 12 बराबर भागों में बांटा गया है, जिसमें हर एक भाग को भाव या घर कहते हैं। व्यक्ति की कुंडली का विश्लेषण करके उसके स्वभाव,वैवाहिक जीवन, आर्थिक स्थिति, करियर और कारोबार के बारे में जानकारी मिलती है। इसके अलावा कुंडली से जातक के वर्तमान, भूत और भविष्य के बारे में काफी कुछ भविष्यवाणियां की जाती हैं।
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