Pages from the Heart: Shalini Basedia Writes for Her Mother, Manju Basedia
शीर्षक-मां का दर्द
जब मेरा जन्म हुआ तो मुझको पता चला कि मेरी मां रो पड़ी थी। जब मैंने सुना है तो मेरे मन में प्रश्न उठा कि क्या बेटी होना बुरा है, बेटी ही तो घर -परिवार को महकती है, बेटी ही तो मात -पिता की परवाह अधिक कर पाती है, बेटी ही तो दो परिवारों को महकती है, बेटी ही तो एक दिन बहू बन कर वंश आगे बढ़ती है, फिर क्यों मेरी मां की आंखों में आंसू आए? प्रश्न उठा मेरे मन में बहुत गंभीर था, जिस बेटी को मात-पिता ने दिया प्यार इतना अधिक था क्यों उसके जन्म पेर मां की आंखों में आंसू आए।
मां से मेने बडा संकुचा के प्रश्न किया, मां मुझको तू प्यार करती है जितना, उतना तूने अपने बेटे को ना प्यार किया जितनी कि मेरी परवाह और किसी का ना तूने उतना ख्याल किया किताबें ,भोजन ,वस्त्र मुझे मेरे अनुकूल सब दिया, फिर क्यों मेरे जन्म पर तुमने आंसू बहाये थे? बेटे से ज्यादा तुमने बेटी को प्यार दिया तिनका तिनका जोड़ा बेटी के लिए दहेज भी तैयार किया, फिर क्या डर था जो तेरे आंसू निकल पड़े, बेटी हुई दूसरी भी क्या यही तेरा दर्द दर्द था?
प्रश्न सुन मेरा मां को रोना आया, प्यार से पास बैठा कर बड़े दुलार से उसने मुझको समझाया। बेटी तू नहीं भारी मुझको, मुझको तो बेटी के हिस्से में जो दर्द आता है उस पर रोना आया, जब मैंने तुझको जन्म दिया तब प्रसव पीड़ा बहुत सही यह दर्द देख मुझे तेरे लिए रोना आया, तुझको भी यह दर्द सहना होगा बस यही सोच मेरा मन घबराया और मुझको रोना आया। एक मां से ज्यादा कौन जाने का बेटी होने का दर्द कौन पहचानेगा? जब मैने तेरी मुस्कान देखी तो सोचा कि तुझको मैं ना दर्द होने दूंगी।
खूब पढाऊगी अपनी बेटी को खूब सुविधाओं के झूले में सोने दूंगी। करूंगी भरकस प्रयास सब संघर्ष में झेलूंगी पर बेटी को अपने दुखी ना होने दूंगी परंतु ईश्वर ने बेटी का भाग्य सुख के साथ कहां बनाया है? मां बनना है उसको तो दुख हजार उठाने होंगे, पत्नी बनकर बहुत से कठोर दायित्व निभाने होंगे अभी नहीं रुकेगा संघर्ष उसका मायके और ससुराल के बीच के समाजस्य
को भी सुलझाने होंगे। अपने सपनों के लिए मेहनत के पसीने से दामन को महकाना होगा। बच्चों की परवरिश में अपना सुखचैन गवना होगा। बेटी ,पत्नी, बहू ,मां बनाकर अपना दर्द छुपाना होगा। बस यही दर्द मेरी आंखों में आया, बस इसीलिए मेरी आंखों ने जल बरसाया था। बेटी तो होती है अनमोल पर यह गुलाब सा फूल मुझे खिलाकर किसी और का घर महकना होगा बस यही डर मेरी आंखों में आंसू लाया था। बस इसीलिए तेरे जन्म पर मेरी आंखों में बेटी होने का दर्द झलक आया था।
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