इंसान जो महसूस करता है वही बोलता है लेकिन एक शायर के लिए ये बात थोड़ी सी अलग होती है क्यूंकि एक शायर जो महसूस करता है वही ‘लिखता’ है।
शायरों की इस रवायत को कायम रखते हुए अपने कुछ जज़्बातों और अहसासों को शायरी की शक्ल देकर इस किताब में संजोया है।
ये किताब मेरी शायरी की मुकम्मल जमा पूँजी है।
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