कोटा राज्य का इतिहास मूल रूप से प्रख्यात इतिहासकार डॉ. मथुरालाल शर्मा द्वारा 1939 ईस्वी में हिंदी में दो भागों में लिखा गया था। यह ग्रंथ कोटा के इतिहास की जटिल परतों को समझने की नींव रखता है और पाठकों को अतीत की एक ऐसी यात्रा पर ले चलता है, जो साहस, संघर्ष और सांस्कृतिक धरोहर की कहानियों से समृद्ध है। यह न केवल ऐतिहासिक तथ्यों का संग्रह है, बल्कि कोटा की आत्मा और पहचान को समझने का एक सशक्त माध्यम भी है, और पाठकों को साहस, संघर्ष और पराक्रम से भरे अतीत की एक यात्रा पर आमंत्रित करता है।
प्रथम भाग में कोटा की उत्पत्ति, जो 250 ईस्वी मानी जाती है, से लेकर आधुनिक काल तक की घटनाओं को रोचक प्रसंगों और कथाओं के माध्यम से जीवंत रूप में प्रस्तुत किया गया है। इससे यह ग्रंथ इतिहासप्रेमियों और शोधकर्ताओं दोनों के लिए समान रूप से आकर्षक बन जाता है।
डॉ. शर्मा का यह कार्य कोटा और उसकी जनता की अटूट भावना को समर्पित एक अनुपम श्रद्धांजलि है, जो एक बीते युग की आत्मा को गहराई और संवेदनशीलता के साथ संजोता है।
दर्लभ प्रसंगों और आकर्षक कथाओं से भरपूर, कोटा राज्य का इतिहास- एक ऐसा ग्रंथ है जो न केवल जानकारीपूर्ण है, बल्कि बेहद रोचक भी है; शोधकर्ताओं के लिए अमूल्य संसाधन और इतिहासप्रेमियों के लिए एक प्रेरणादायक अध्ययन भी।
प्रीशा गुप्ता ड्यूक विश्वविद्यालय में इंग्लिश और एशियन एंड मिडल ईस्टर्न स्टडीज की स्नातक छात्रा है। वे रचनात्मक लेखन और अभिलेखागार अध्ययन के माध्यम से न केवल अपनी सांस्कृतिक जड़ों, बल्कि वैश्चिक सभ्यताओं की परंपराओं और आपसी जुड़ाव को समझने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
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