कहानियाँ शायद कभी लिखी नहीं जातीं, वे बस घटती हैं हमारे आसपास, हमारे भीतर, जहाँ भावनाएँ शब्दों का रूप लेती हैं। कभी किसी अनकही बात से प्रेरणा मिलती है, कभी किसी अधूरी चिट्ठी से दर्द उभरता है, और कभी किसी आँसू या मुस्कान से जीवन की सच्चाई सामने आती है।
राधा गौरांग की कहानियों का संग्रह “खामोशी में कहानियाँ” एक ऐसा संग्रह है जिसमें हर कहानी किसी रिश्ते की खुशबू या उसकी पीड़ा को अपने भीतर समेटे हुए है। कहीं प्रेम है जो वक्त की धूल में दब गया है, कहीं प्रतीक्षा है जो अब भी साँसों में ज़िंदा है, कहीं अपराधबोध है तो कहीं मुक्ति की चाह है।
इन कहानियों के पात्र हमारे बीच के लोग हैं जो हर गली, हर घर, हर रिश्ते में सांस लेते हैं। शाम बाबू की व्यथा, वह विरहिणी की पीड़ा, वो बेटी जो पिता की छोड़ी चाबी ढूँढ रही है, या वो खिड़की जिसके पार ज़िंदगी झाँकती है – ये सब हम सब की कहानी है।
राधा गौरांग ने इन कहानियों को बस लिखा नहीं, महसूस किया है। कई बार किसी पात्र ने उनसे सवाल किया, कई बार उन्होंने उनसे जवाब माँगे। इन कहानियों का सृजन उनके मन की गहराइयों से हुआ है, और उन्हें उम्मीद है कि ये पाठकों के दिलों को छू जाएंगी। अगर इन कहानियों में आपको अपने जीवन का कोई अंश दिख जाए, तो समझ लीजिए कि राधा गौरांग की लेखनी सफल हुई है।





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