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From Saroj, With Love: A Mother’s Day Story for Smt. Parmeshwari Devi

कहानी का शीर्षक: माँ की सीख, जीवन की जीत

कहानी:

माँ… एक ऐसा शब्द, जिसमें पूरा ब्रह्मांड समाया होता है। मेरी माँ एक साधारण ग्रामीण महिला हैं। न कोई दिखावा, न कोई शिकायत – बस अपनापन, मेहनत और स्नेह की प्रतिमूर्ति।

हमेशा सादा साड़ी और ब्लाउज में रहने वाली मेरी माँ की सबसे बड़ी खासियत है – उनका धैर्य और सहनशीलता। उन्होंने अपना पूरा जीवन परिवार को संजोने और सँभालने में लगा दिया। खेतों में काम करना हो या घर में चूल्हा जलाना, गाय-भैंस का पालन हो या बच्चों की परवरिश – माँ हर ज़िम्मेदारी को पूरी लगन से निभाती आई हैं।

उनकी पढ़ाई तो गाँव में स्कूल केवल पाँचवीं तक होने के कारण अधूरी रह गई, लेकिन उन्होंने कभी इसे अपने सपनों की दीवार नहीं बनने दिया। उन्होंने हमें हमेशा पढ़ने, आगे बढ़ने और कुछ बनकर दिखाने की प्रेरणा दी। माँ को पढ़ने और सीखने का बहुत शौक था, लेकिन अपने समय में वे यह नहीं कर पाईं। फिर भी उन्होंने कभी हार नहीं मानी, बल्कि हमारे सपनों को अपनी आँखों में बसा लिया।

शादी के बाद संयुक्त परिवार की तमाम जिम्मेदारियों को उन्होंने हँसते-हँसते निभाया। माँ कभी किसी से लड़ती नहीं थीं, न ही किसी का दिल दुखाती थीं। वे हमेशा कहती थीं, “परिवार को जोड़कर रखने वाला ही सच्चा विजेता होता है।”

मुझे याद है, जब मेरी शादी हुई और मैं पहली बार गृहस्थी सँभाल रही थी, तो कई बार उलझनें आतीं। तब माँ मुझे समझातीं – “बेटा, ये घर अब तेरा है। इसे सँभालना अब तेरी ज़िम्मेदारी है। कोई बाहर से आकर नहीं सँभालेगा। दूसरों को तमाशा देखने में मज़ा आता है, साथ देने में नहीं। अपने सास-ससुर की सेवा करना, सम्मान देना। अपने परिवार की इज्ज़त को बनाकर रखना ही सबसे बड़ा धर्म है।”

माँ की इन बातों को मैंने अपने जीवन का आधार बनाया। आज मेरी शादी को सोलह साल हो गए हैं और मेरी सास, ननद, जेठानी, देवर – सभी से मेरे रिश्ते बेहद मधुर हैं। घर में हर रिश्ता प्रेम और समझदारी से बँधा है, और इसका श्रेय मेरी माँ की सिखाई हुई बातों को ही जाता है।

माँ के साथ बिताया हर पल मुझे कुछ सिखा गया। कोई एक घटना नहीं है जिसे मैं अलग से गिनवाऊँ, क्योंकि उनका पूरा जीवन ही मेरे लिए एक जीती-जागती किताब है – धैर्य, मेहनत, ममता और संस्कारों की किताब।

आज मदर्स डे पर मैं बस इतना कहना चाहती हूँ –

“माँ, आपने मुझे जीवन की सबसे बड़ी सीख दी – रिश्तों को निभाना, सम्मान देना और खुद पर विश्वास रखना। आपका हर शब्द आज भी मेरे जीवन का मार्गदर्शक है। मैं जैसी भी हूँ, आपकी वजह से हूँ।”

– सरोज