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Anhad Naad

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जीवन पथ की यात्रा सदैव अनेकों इंद्रधनुषी रंगों के अनुभवों का साक्षी बनती है और इन अनुभवों की यात्रा कभी सरल नहीं होती। अनेकों प्रत्याशित और यदा-कदा अप्रत्याशित मोड़ से हमारा साक्षात्कार होता है और हर मोड़ पर जिंदगी एक विलग स्वरूप में परिलक्षित होती है। जीवन के खट्टे-मीठे अनुभवों से गुजरते हुए उनके अंतस से भी अनेकों बार कुछ आवाजें श्रव्यमान होती हैं और इस अंतस की गूंज की प्रतिध्वनि अनेकों बार उनसे बहुत कुछ कहती जाती है, कभी कुछ शब्द बनकर तो कभी मौन बनकर।

यह कविता संग्रह उसी गूंज की प्रतिध्वनि है जिसे उनके हृदय ने गहराइयों से महसूस किया है। हृदय जब भी विविध भावों से स्पंदित होता है, एक एहसास जन्मता है और जब कभी उन एहसासों को शब्दों का जामा पहना दिया जाता है और भावों की लड़ियाँ जुड़ती हैं, तब शब्दों की पगडंडी पर चलते हुए एक कविता सृजित होती है। उनकी पुस्तक “अनहद नाद” ऐसे ही विविध रंगों से सजी मन की अनुगूँज है जिसमें सुख-दुख, हर्ष-विषाद, कुछ यथार्थ के सन्निकट तो कुछ कल्पित भावों की शब्द-यात्रा कदाचित आप सभी के हृदय को भी स्पर्श करेगी, क्योंकि जब भाव सच्चे होते हैं तो वे आत्माओं के बीच सेतु बन जाते हैं।

इस पुस्तक में सृजित समस्त कविताएँ विविध भावों की रंगोली सदृश हैं, जो हृदय से होकर गुजरती हैं – कभी तीव्र, कभी कोमल तो कभी हृदय के उस मौन संगीत की भी अनुभूति है जो अंतस की गहराइयों से होकर गुजरती है। आपकी प्रतिक्रियाएँ और विचार इस मन की यात्रा के अगले पड़ाव के लिए प्रदर्शक होंगे। आपसे स्नेहपूर्ण संवाद की प्रतीक्षा रहेगी।

अरुणिमा दूबे एक प्रतिभाशाली लेखिका और अध्यापिका हैं। उन्होंने एमएससी प्राणिशास्त्र और बीएड की शिक्षा प्राप्त की है और वर्तमान में एक सरकारी इंटर कॉलेज में जीवविज्ञान की अध्यापिका के रूप में कार्यरत हैं। लेखन के अलावा, अरुणिमा जी एक यूट्यूब कुकिंग चैनल “Annapurna by Arunima” का संचालन भी करती हैं। उनके पति श्री देव नारायण दूबे सरकारी सेवा में हैं। उनकी माता स्वर्गीय डॉ. मालती पांडेय और पिता डॉ. योगेंद्र नाथ पांडेय हैं।

अरुणिमा जी की चार पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं: “ममता”, “नीलकंठी”, उपन्यास “रंग बनारसिया” और “वो चाँद सी लड़की”। उनके कई लेख और कहानियाँ विभिन्न समाचार-पत्रों और पत्रिकाओं में प्रकाशित और पुरस्कृत हो चुकी हैं, जिनमें “इंद्रप्रस्थ भारती” (हिंदी साहित्य अकादमी की पत्रिका), “वनिता”, “जागरण सखी” और “अपराजिता” शामिल हैं।

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