प्रस्तुत पुस्तक में जीवन से जुड़ी ऐसी अनेक कहानियों का संग्रह संकलित है, जो पाठकों को स्वयं से जुड़ी हुई प्रतीत होंगी। वास्तव में, कहानी मनुष्य के अनुभवों की सबसे सजीव अभिव्यक्ति होती है। शब्दों के छोटे-से संसार में वह जीवन के बड़े सच कह जाती है। यह कहानी-संग्रह भी ऐसे ही अनेक अनुभवों का संगम है, जहाँ कहीं स्मृतियों की नमी है, कहीं संघर्ष की तपिश, तो कहीं सपनों की सौंधी-सी महक।
हर कहानी अपने भीतर एक अलग दुनिया समेटे हुए है, कभी वह भीतर झाँकने को प्रेरित करती है, कभी समाज की परतें खोलती है, और कभी बस एक मुस्कान छोड़ जाती है। इन कहानियों के पात्र शायद पाठकों से बहुत दूर नहीं हैं; वे उनके आस-पास ही रहते हैं, कभी एक पड़ोसी के रूप में, कभी किसी अनजाने मुसाफिर के रूप में, और कभी उनके अपने भीतर।
यह संग्रह लेखक की संवेदनाओं, सोच और अनुभवों की यात्रा है। उद्देश्य केवल कहानी कहना नहीं, बल्कि पाठकों के मन में कुछ देर ठहर जाना है। उम्मीद है कि इन शिक्षाप्रद कहानियों में पाठकों को अपने जीवन की झलक, अपनी भावनाओं की प्रतिध्वनि और अपने प्रश्नों के कुछ उत्तर अवश्य मिलेंगे।
पाठकों के हाथों में थामी हुई यह पुस्तक केवल कहानियों का एक संग्रह मात्र नहीं है, बल्कि हमारे वर्तमान जीवन के जटिल नैतिक संघर्षों और मानवीय मूल्यों की एक ईमानदार पड़ताल है। हम एक ऐसे दौर में जी रहे हैं, जहाँ तेज़ तकनीक, डेटा स्कोर और भौतिक सफलता को अक्सर चरित्र, ईमानदारी और सामाजिक न्याय से अधिक महत्वपूर्ण मान लिया जाता है। इस संग्रह का जन्म इसी विचार से हुआ है कि सच्ची प्रगति और सच्चा ज्ञान पुस्तकों या एल्गोरिदम में नहीं, बल्कि हमारे दिल की नैतिक ईमानदारी में निहित है।
इस संग्रह की प्रत्येक कहानी एक आईना है, जो उस क्षण से परिचित कराती है, जहाँ आसान सफलता और कठिन ईमानदारी के बीच चुनाव करना होता है। इनमें वैज्ञानिक दुविधा, सामाजिक न्याय के लिए संघर्ष और अपने डर को स्वीकारने का साहस देखने को मिलता है। यह पुस्तक केवल पढ़ने के लिए नहीं, बल्कि सोचने और महसूस करने के लिए आमंत्रित करती है।
इन गाथाओं का केन्द्रीय सूत्र यही है: ईमानदारी कोई सैद्धांतिक अवधारणा नहीं, बल्कि एक सक्रिय चुनाव है। यह हमारे चरित्र की सबसे बड़ी पूँजी है, जिसे न तो कोई रोबोट छीन सकता है और न ही किसी आर्थिक लाभ के लिए बेचा जा सकता है।





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