यह कहानी उपन्यास के नायक आकाश और उसकी उड़ान को चित्रित करती है , जहॉं नायक की जीवन यात्रा काशी से आरम्भ होकर बनारस के रस में रचती बसती , वाराणसी को जीवंत करते हुए पुनः काशी में ही समाहित होने का अविस्मरणीय चित्रण है । ऊंची उड़ान भर सब कुछ पाने के बाद मृगतृष्णा में भटकता नायक जब वितृष्णा से जीवन यात्रा दुबारा शुरू करता हैं तो हम सब भी अपने आप उसकी इस यात्रा का हिस्सा बन जाते हैं और नायक के साथ बहते पानी की तरह निरंतर उसके साथ शामिल होते हैं ।
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