14 फरवरी ( अधूरे थे…अब पूरे हैं हम )

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प्रस्तुत पुस्तक एक काल्पनिक कथानक पर केंद्रित उपन्यास है। प्रेम संबंधों पर आधारित इस उपन्यास का कालखंड डेढ़ दशक पूर्व का है। उस समय सूचना क्रांति समाज में अपना सिर उठा रही थी। लोगों के पास स्मार्टफोन की बजाय सीमित संख्या में साधारण फोन थे। इसी समय देश में स्मार्टफोन दस्तक देने लगे थे। सीसीटीवी कैमरों का चलन न के बराबर था। सुरक्षा के लिए दफ्तरों व घरों में सीसीटीवी कैमरों का इस्तेमाल बेहद सीमित था।

जिस दौर में तकनीक देश में जगह बनाने को तैयार दिख रही थी, उसी दौर में दो युवा जिंदगियों में प्रेम के बीज का अंकुरण हुआ। कालांतर में इस प्रेम की परिणति किस रूप में होती है, यह उपन्यास इस प्रेम कहानी के सफर का संवेदनशील तरीके से वर्णन करता है। प्रेम के इस रोमांचक सफर में आप छल, कपट, हिंसा, षड्यंत्र और त्याग जैसे भावों से भी रूबरू होंगे। ऐसे अनेक पात्र सामने आएंगे, जो आपको अपने आसपास दिखेंगे। आप महसूस करेंगे कि आप इनसे मिल चुके हैं। सम्मानित पाठक जब इस कृति के साथी बनेंगे, तो निश्चित रूप से इसका साथ नहीं छोड़ पाएंगे। इससे प्रेम हो जाएगा।

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Customer Reviews

1-5 of 1 review

  • Divya Trivedi

    Very Good Book!

    March 10, 2025

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